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रायपुर. रामनगर के 68 वर्षीय बुजुर्ग के स्वाब का सैंपल 24 मार्च को लिया गया। 25 मार्च को कोरोना पाजिटिव निकला तो उन्हें रातों-रात अखिल भारतीय अायुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया। तीन दिन बाद यानी 28 मार्च को बुजुर्ग के सैंपल लिए गए तो कोरोना नेगेटिव आया। डाॅक्टर हैरान हुए पर इलाज चलता रहा। 30 मार्च तो दूसरा सैंपल जांचा गया तो यह फिर नेगेटिव निकला। इस वजह से डाॅक्टरों ने उन्हें 31 मार्च की रात एम्स से छुट्टी दे दी और 14 दिन के क्वारेंटाइन में भेज दिया।


लेकिन उसके बाद से अब तक बुजुर्ग प्रदेश में सबसे बड़ी साइंटिफिक केस स्टडी बन गए हैं। इसलिए भी क्योंकि एम्स में ही भर्ती 23 साल की युवती में 15 दिन बाद भी कोरोना नेगेटिव नहीं हो पाया है। एम्स के डाॅक्टर इस बात की स्टडी भी जल्दी शुरू करेंगे कि अाखिर बुजुर्ग में कोरोना इतनी जल्दी ठीक होने के क्या कारण हो सकते हैं। उनके खान-पान और दिनचर्या के बारे में भी जानकारी ली जा रही है। साथ ही, डाॅक्टर अलग-अलग तरह से साइंटिफिक तर्क भी दे रहे हैं। कुछ डाॅक्टरों का कहना है कि कोई भी वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में ज्यादा असर डालता है और किसी में कम, क्योंकि यह शरीर की संरचना और क्षमता पर अाधारित है। जिनके प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा रहती है, उन पर वायरस बिलकुल असर नहीं करते। एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन एम नागरकर का भी कहना है कि बुजुर्ग का जल्दी ठीक होना वास्तव में कुछ समय बाद रिसर्च का विषय हो सकता है।